मंगलवार, 26 जनवरी 2016

मनोज 'मनु' की रचना - स्वराष्ट्र को नमन सतत्


         स्वराष्ट्र को नमन सतत्.....




स्वराष्ट्र को नमन सतत्....

ये सर्व धर्म सन्मति की 
                प्रेरणा का स्रोत है,
अहिंसा ओर दया की 
           भावना से ओतप्रोत है
समस्त विश्व हित यहाँ 
         ऋषि मुनि हैं जप में रत
स्वराष्ट्र को नमन सतत्....

ये राष्ट्र श्रेष्ठतम् यहाँ
               प्रभु विराजमान हैं,
जो इसकी सुधि न लें तो
        जन्म शत् मृषा समान हैं,
ये ऋण है धर्म से महान
              कर्म से न हों विरत,,
स्वराष्ट्र को नमन सतत्.....

 गणतन्त्र में स्वराष्ट्र की 
              महान है उपासना,
गणतन्त्र में प्रजा हितोंकी
               होवे न अवहेलना,
गणतन्त्र में स्वतन्त्रता की 
             भावनाएं हों निरत...
स्वराष्ट्र को नमन सतत् ....।।

                         - मनोज 'मनु'
            लाइनपार, मुरादाबाद (उ.प्र.)
            सम्पर्क सूत्र : 9411077122

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